एक ख़याल बस यूं ही ………
उनकी आँखों में चरागों से ख़्वाब जलते हैं -२
जाने कितनों के मोहब्बत में दिल मचलते हैं !!
यूं न हसरत से,, भरे चाँद को देखा करिये-२
लोग कहने लगें,, दो चाँद भी निकलते हैं !!
देखने वालों ने,, तुममे ख़ुदा देखा होगा -२
राह चलते हुए,, सज़दे में लोग मिलते हैं !!
तुम न मानो मुझे अपना तो कोई बात नहीं-२
हम वो आशिक़ हैं जो साये से साथ चलते हैं !!
माना दुश्वार ही होगा ये मोहब्बत का चलन -२
ये तो अरमान हैं सम्भले से कब सँभलते हैं !!
तुम्हें सोचूं तुम्हें देखूं ग़ज़ल में लिख दूँ तुम्हें -२
ऐसी किस्मत पे तो दुश्मन भी हाथ मलते हैं !!
-------हरीश भट्ट------
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