कुछ शब्द-सुमन उर अंजुरी में
भरपूर नेह से........... लाया हूँ
दो पल तो पास तुम बैठो जरा
मैं दूर देश से.......... आया हूँ
मैं रोज सोचता हूँ ....तुमको
अधिकार न हो तो ,कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको स्वीकार न हो तो कह देना
तुम चाहे न मुझसे बतियाना
शर्माना न ........इठलाना ना
तुम द्वार से ही, लौटा देना
मुस्काना न .....इतराना ना
मैं रोज मनाता हूँ.. तुमको
मनुहार न हो तो.\, कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको स्वीकार न हो तो कह देना
कह तो दिया मत देना भले
इन नैनों का.... संसर्ग प्रिये
न देना भले ,प्यासे मन को
अंजुरी भर भी, अर्घ्य प्रिये
मैं रोज ही रचता हूँ, तुमको
साकार न हो तो,, कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको स्वीकार न हो तो कह देना
""इन पंक्तियों मैं एक परिवर्तन के साथ भी पढ़ कर देखे
की भाव मैं क्या परिवर्तन होता हैं ""
मैं रोज सोचता हूँ तुमको प्रतिकार न हो तो कह देना
मैं प्रीत सौपता हूँ तुमको...इन्कार न हो तो कह देना