tag:blogger.com,1999:blog-557233177603765830.post6887613802183067624..comments2023-08-08T19:18:25.122+05:30Comments on उद् घोष ..........: देखता हूँ रोज तुमको.. ध्यान मैं धर लूं जरा!हरीश भट्ट http://www.blogger.com/profile/08494903091515967137noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-557233177603765830.post-67967473908943278492011-05-11T07:33:08.011+05:302011-05-11T07:33:08.011+05:30bahut acchi bhaktimay rachna aapki..
jai ganga ji...bahut acchi bhaktimay rachna aapki..<br />jai ganga ji....नीलांशhttps://www.blogger.com/profile/06348811803233978822noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-557233177603765830.post-61120059503412640922011-05-10T18:26:23.576+05:302011-05-10T18:26:23.576+05:30माँ गंगा के प्रति आपके अगाध प्रेम और श्रधा को दर्श...माँ गंगा के प्रति आपके अगाध प्रेम और श्रधा को दर्शाती है आपकी यह रचना, गंगा की कल कल करती पावन धारा की विशेषताओं को बखूबी शब्दों में पिरोया है आपने <br />कविता का शीर्षक "क्षीर पावन स्वर्ग से आँचल में भर कर लाई है" भी अत्यंत सारगर्भित है, इस एक पंक्ति में ही मानो पूरी गंगा सिमट कर आ गई हो बिलकुल उसी तरह जिस तरह ब्रह्मा के कमंडल में समा गई थी और फिर धीरे धीरे हर पंक्ति में उसका रूप और वृहत रूप में सामने आता गया ज्यूँ शिव जटा से निकली एक धार धरा पर आकर इतने विशाल जनसमूह को तृप्त करती है | इस रचना ने वाकई अपनी पावनता से मन को तृप्त कर दिया |Alokita Guptahttps://www.blogger.com/profile/09633732245477861725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-557233177603765830.post-60588262976945533832011-05-10T13:38:23.919+05:302011-05-10T13:38:23.919+05:30भक्तिरस से परिपूर्ण अभिव्यक्तिभक्तिरस से परिपूर्ण अभिव्यक्तिAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-557233177603765830.post-74130906688331066482011-05-10T10:49:10.354+05:302011-05-10T10:49:10.354+05:30आध्यात्म का प्रबल रूपआध्यात्म का प्रबल रूपरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com